1. Basic of wireless communication:
नमस्कार दोस्तों, आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम वायरलेस कम्युनिकेशन के बेसिक्स के बारे में जानेंगे। वायरलेस कम्युनिकेशन का मतलब है कि दो या दो से अधिक डिवाइस आपस में बिना किसी तार के मध्यम से संचार कर सकते हैं। वायरलेस कम्युनिकेशन का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में कई तरह से होता है, जैसे मोबाइल फ़ोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ, सैटेलाइट, रेडियो, टीवी, आदि।
वायरलेस कम्युनिकेशन का सिद्धांत क्या है? वायरलेस कम्युनिकेशन में हमें तीन मुख्य चीजें मिलती हैं: स्रोत (source), प्राप्तकर्ता (receiver) और संकेत (signal)। स्रोत वह डिवाइस है जो संकेत को प्रसारित (transmit) करता है, प्राप्तकर्ता वह डिवाइस है जो संकेत को प्राप्त (receive) करता है, और संकेत वह मीडिया है जो स्रोत से प्राप्तकर्ता तक संदेश (message) को पहुंचाता है।
संकेत को प्रसारित करने के लिए, हमें संकेत को मॉडुलेट (modulate) करना पड़ता है, मतलब संकेत के प्रकार (type), प्रक्रिया (process) और प्रतीक (symbol) को परिवर्तित (change) करना पड़ता है। मॉडुलेशन के प्रकार (types of modulation) हैं:
– **अम्पलीट्यूड मॉडुलेशन (Amplitude Modulation)**: इसमें संकेत की frequency constant रहती है, लेकिन amplitude परिवर्तित होती है.
– **Frequency Modulation**: इसमें संकेत की amplitude constant रहती है, लेकिन frequency परिवर्तित होती है.
वायरलेस कम्युनिकेशन का लाभ
वायरलेस कम्युनिकेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें सूचना को तारों, केबलों या अन्य भौतिक माध्यमों के बिना हवा के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। इसमें विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि इन्फ्रारेड, रेडियो, माइक्रोवेव, सैटेलाइट, आदि।

वायरलेस कम्युनिकेशन के कई लाभ हैं, जो निम्नलिखित हैं:
मोबिलिटी: वायरलेस कम्युनिकेशन से, हम कहीं भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं, चाहे हम स्थिर हों या हिलते हों। हमारे पास कोई प्रतिबंध नहीं है कि हम कहां से संपर्क में रह सकते हैं।
सुगमता: वायरलेस कम्युनिकेशन से, हमें किसी प्रकार की केबल, स्विच, मोडेम, आदि की आवश्यकता नहीं होती है। हमें सिर्फ एक प्रसारक (transmitter) और प्राप्तकर्ता (receiver) की जरूरत होती है, जो हमारे मोबाइल फ़ोन, GPS receiver, remote control, Bluetooth audio, Wi-Fi device, etc. में पहले से मौजूद होते हैं।
कम लागत: वायरलेस कम्युनिकेशन से, हमें केबल, मोडेम, स्विच, etc. install , maintain , repair , replace , upgrade , etc. करने की cost save होती है।
प्रदूषण कम: वायरलेस कम्युनिकेशन से, हम प्रकृति को प्रदूषित नहीं करते हैं, क्योंकि हमें कोई wires , cables , etc. use , dispose , recycle , etc. नहीं करना पड़ता है।
3. Electromagnetic waves of wireless communication:
विद्युत चुंबकीय तरंगे वह तरंगें हैं जिनमें विद्युत क्षेत्र और चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे के साथ समानांतर रूप से कंपन करते हैं। इन तरंगों को संचारित करने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, यह खाली स्थान में प्रकाश की गति से संचरित होती हैं।
विद्युत चुंबकीय तरंगों का पहला प्रयोग 1888 में हर्ट्ज (Hertz) ने किया, जिन्होंने 6 मीटर की तरंगलम्बाई (wavelength) की इन तरंगों को पैदा किया। 1895 में, मारकोनी (Marconi) ने पहली बार इनका प्रसारण (transmission) किया, और 1901 में, उन्होंने पहली बार समुद्र पार (across the Atlantic) से संकेत (signals) प्राप्त किए।
विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम (Electromagnetic spectrum) में, विभिन्न प्रकार की विद्युत-चुम्बकीय-तरंगें, उनके-तरंगलम्बाई-के-हिसाब-से, समूह-में-रखी-हुई-हैं।
समूह-1: 1 मी. से 700 nm. (nanometer) – Infrared rays
समूह-2: 700 nm. से 400 nm. – Visible light
समूह-3: 400 nm. से 10 nm. – Ultraviolet rays
समूह-4: 10 nm. से 0.01 nm. – X-rays
समूह-5: 0.01 nm. से 0.001 nm. – Gamma rays

Infrared rays: Infrared rays are emitted by hot objects and are absorbed by most substances. They are used for night photography, remote control, Wi-Fi system and greenhouse effect.
Visible light: Visible light is the part of the electromagnetic spectrum that can be seen by human eyes.
4. Frequency spectrum used of wireless communication:
वायरलेस कम्युनिकेशन में फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम का उपयोग
वायरलेस कम्युनिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें तारों, केबलों या किसी भी भौतिक माध्यम के बिना सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है। वायरलेस कम्युनिकेशन में, संकेतों को अंतरिक्ष के माध्यम से प्रसारित किया जाता है, जो कि एक अनगाइडेड माध्यम है। इसके लिए, संकेतों को विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर प्रसारित करने की आवश्यकता होती है, जो कि संकेतों के प्रसारण, प्राप्ति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम (Frequency Spectrum) का मतलब है कि संकेतों को प्रसारित करने के लिए उपलब्ध सभी फ्रीक्वेंसी का समूह। फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम 30 KHz से 300 GHz तक होती है, जो कि 10 KHz से 10 GHz के 10 मुख्य बैंड में बांटी गई है, जिन्हें HF, VHF, UHF, SHF, EHF, L, S, C, X, KU, KA, V, W, MMW (Millimeter Wave) कहा जाता है।

इनमें से प्रत्येक बैंड में संकेतों के प्रसारण के लिए कुछ ख़ासियत होती हैं, जैसे:
– HF (High Frequency) – 3 MHz से 30 MHz: HF band में संकेतों का प्रसारण ionosphere reflection (sky wave propagation) के माध्यम से होता है, जो कि long distance communication (up to 3000 km) में महत्वपूर्ण है। HF band में shortwave radio broadcasting (AM radio), amateur radio, maritime communication, military communication etc. use होते हैं।
– VHF (Very High Frequency) – 30 MHz से 300 MHz: VHF band में संकेतों का प्रसारण line of sight propagation (ground wave propagation) के माध्यम से होता है, जो कि short distance communication (up to 100 km) में महत्वपूर्ण है। VHF band
5. Cellular network system:
आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम सेलुलर नेटवर्क सिस्टम के बारे में जानेंगे।
सेलुलर नेटवर्क सिस्टम एक प्रकार का वायरलेस नेटवर्क है जो मोबाइल डिवाइस को आपस में जोड़ने के लिए काम आता है। सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में कई सारे सेल होते हैं जो किसी एक क्षेत्र को कवर करते हैं। प्रत्येक सेल में एक बेस स्टेशन होता है जो मोबाइल डिवाइस को रेडियो सिग्नल प्रदान करता है।
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सेलुलर नेटवर्क सिस्टम के कुछ फ़ायदे हैं:-
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में अधिक users को support किया जा सकता है
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में voice quality, data speed, security, reliability, etc. में improvement हुआ है
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में roaming facility, SMS, MMS, internet access, etc. मिलती है
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में power consumption कम होता है
सेलुलर नेटवर्क सिस्टम के कुछ challenges हैं:-
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में interference, noise, fading, etc. का problem होता है
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में spectrum allocation, frequency reuse, handoff, etc. का issue होता है
- सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में infrastructure cost, maintenance cost, regulation cost, etc. high होता है
समापन:-
सेलुलर नेटवर्क सिस्टम एक important technology है जो मोबाइल communication को enable करती है। सेलुलर नेटवर्क सिस्टम में different generations (1G, 2G, 3G, 4G, 5G) हैं जो different features and capabilities प्रदान करते हैं। सेलुलर नेटवर्क सिस्टम मे continuous development and innovation होता है जो user experience and satisfaction को enhance करता है।