वायरलेस कम्युनिकेशन में फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम का उपयोग
वायरलेस कम्युनिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें तारों, केबलों या किसी भी भौतिक माध्यम के बिना सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है। वायरलेस कम्युनिकेशन में, संकेतों को अंतरिक्ष के माध्यम से प्रसारित किया जाता है, जो कि एक अनगाइडेड माध्यम है। इसके लिए, संकेतों को विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर प्रसारित करने की आवश्यकता होती है, जो कि संकेतों के प्रसारण, प्राप्ति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम (Frequency Spectrum) का मतलब है कि संकेतों को प्रसारित करने के लिए उपलब्ध सभी फ्रीक्वेंसी का समूह। फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम 30 KHz से 300 GHz तक होती है, जो कि 10 KHz से 10 GHz के 10 मुख्य बैंड में बांटी गई है, जिन्हें HF, VHF, UHF, SHF, EHF, L, S, C, X, KU, KA, V, W, MMW (Millimeter Wave) कहा जाता है।

इनमें से प्रत्येक बैंड में संकेतों के प्रसारण के लिए कुछ ख़ासियत होती हैं, जैसे:
– HF (High Frequency) – 3 MHz से 30 MHz: HF band में संकेतों का प्रसारण ionosphere reflection (sky wave propagation) के माध्यम से होता है, जो कि long distance communication (up to 3000 km) में महत्वपूर्ण है। HF band में shortwave radio broadcasting (AM radio), amateur radio, maritime communication, military communication etc. use होते हैं।
– VHF (Very High Frequency) – 30 MHz से 300 MHz: VHF band में संकेतों का प्रसारण line of sight propagation (ground wave propagation) के माध्यम से होता है, जो कि short distance communication (up to 100 km) में महत्वपूर्ण है। VHF band