वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम का एक महत्वपूर्ण घटक है सेल एरिया (cell area)। सेल एरिया वह क्षेत्र है जहां एक वायरलेस संचार (wireless communication) नेटवर्क के अंतर्गत एक मोबाइल डिवाइस को सिग्नल प्राप्त होता है। सेल एरिया को आमतौर पर हेक्सागनल (hexagonal) आकार में प्रदर्शित किया जाता है, जो कि समान आकार के सेलों को जोड़कर बनता है। प्रत्येक सेल में, एक सेलुलर (cellular) टावर होता है, जो कि मोबाइल डिवाइसों के साथ संचार (communication) के लिए आवश्यक संकेत (signals) को प्रसारित (transmit) और प्राप्त (receive) करता है।
सेलुलर (cellular) नेटवर्क में, सेलों को मुख्यत: तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
- मैक्रोसेल (macrocell)
- माइक्रोसेल (microcell) और
- पीकोसेल (picocell)
1. मैक्रोसेल (macrocell) सबसे बड़े सेल होते हैं, जिनका व्यास 1-30 किमी होता है। मैक्रोसेल (macrocell) का प्रयोग मुख्यत: शहरी (urban) क्षेत्रों में होता है, जहां मोबाइल प्रयोगकर्ताओं की संख्या अधिक होती है। माइक्रोसेल (microcell) मध्यम-आकार के सेल होते हैं, जिनका व्यास 100-1000 मीटर होता है।
2. माइक्रोसेल (microcell) का प्रयोग मुख्यत: परिवहन (transportation) के माध्यम, जैसे सड़क, पुल, रेलमार्ग, आदि, पर होता है, जहां मोबाइल प्रयोगकर्ताओं की संख्या कम-से-कम होती है, परन्तु संकेत (signal) की मांग समतुल्य होती है।
3. पीकोसेल (picocell) ये एक छोटा सेलुलर बेस स्टेशन हैं जो कम इलाके में कवरेज प्रदान करता हैं, जैसे कि इमारतों में (दफ्तर, शॉपिंग मॉल, रेलवे स्टेशन, स्टॉक एक्सचेंज, आदि), या हाल ही में हवाई जहाजों में। सेलुलर नेटवर्क में, पिकोसेल का प्रयोग आमतौर पर उन अंदरूनी क्षेत्रों में कवरेज को बढ़ाने के लिए किया जाता हैं, जहां बाहरी सिग्नल अच्छी तरह से पहुंचते नहीं हैं, या उन क्षेत्रों में नेटवर्क क्षमता को बढ़ाने के लिए, जहां फ़ोन का प्रयोग बहुत ज़्यादा होता हैं, जैसे कि रेलवे स्टेशन या स्टेडियम। पिकोसेल उन क्षेत्रों में कवरेज और क्षमता प्रदान करते हैं, जहां पारंपरिक मैक्रोसेल का प्रयोग करना मुश्किल या महंगा होता हैं ।